लेखनी प्रतियोगिता -01-Jun-2023
तेरी याद सुबह के साथ
घर चली आती है
शाम ढलते रंग बदल के
रात बन जाती है।
तेरी याद सुहानी शाम
को रंग दे जाती है
रात भर ये किसी तारे
जैसी टिमटिमाती है।
तेरी याद के परिंदे अक्सर
मन की खिड़की पर मेरे
डाल जाते हैं फड़फड़ाकर
खत लिखे हुए तेरे।
तेरी याद सांस बनकर
मुझको जीवंत करती है
मेरे संग ये फिजा सारी
तुझे ही याद करती है।
कहीं सपने कहीं किस्से
तेरी यादें मेरे हिस्से
मेरा मन एक खिड़की है
तेरा चेहरा दिखे जिससे।
तेरी याद चांदनी जैसी
मुझे सहलाती है
और कभी धूपबत्ती सी
घर को महकाती है।
तेरी याद के कुछ पल
तुझे लौटाना है
मैं कैसा हूँ तुम्हारे बिन
तुम्हे बतलाना है।।
।
Abhinav ji
02-Jun-2023 08:17 AM
Very nice 👍
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Shashank मणि Yadava 'सनम'
02-Jun-2023 07:41 AM
सुन्दर अभिव्यक्ति
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Punam verma
01-Jun-2023 11:57 PM
Very nice
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